ans
क्या एक निगम या कंपनी पर आपराधिक दायित्व का मुकदमा दर्ज हो सकता है ? || Corporate criminal liability in india
Share
Sign Up to our social questions and Answers Engine to ask questions, answer people’s questions, and connect with other people.
Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people’s questions & connect with other people.
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
कंपनी निगम शब्द के अंतर्गत ही आती है, व निगम व्यक्ति शब्द के अंतर्गत आते हैं व्यक्ति शब्द के अंतर्गत संघ या कंपनी और निगमित व निगमित निकायों का समावेश किया गया है |
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या कंपनी पर आपराधिक दायित्वों का मुकदमा या FIR दर्ज हो सकता है? इसका जवाब हां में है, कंपनी पर आपराधिक दायित्व का मुकदमा दर्ज हो सकता है लेकिन निगमों को उन अपराधों के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता जिसमें मन सीरिया (आपराधिक भावना )का होना आवश्यक है |
एक सीमित दायित्व वाली कंपनी को धोखाधड़ी के षड्यंत्र के लिए दोषी ठहराया जा सकता है |
आर बनाम आई. सी. आर हाउसेज लिमिटेड के केस में न्यायालय ने निर्णय किया है कि सीमित दायित्व वाली कंपनी को धोखाधड़ी के षड्यंत्र के लिए दोषी ठहराया जा सकता है |
एक अन्य केस महाराष्ट्र बनाम सिंडिकेट ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड के मामले में न्यायालय ने कहा था कि एक निगम पर धारा 420, 403, 406 भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अभियोजन चलाया जा सकता है, लेकिन एक कंपनी और निगम पर बहुविवाह, बलात्कार, मृत्यु ,कूटरचना, जैसे अपराधों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है |
एक कंपनी व निगम को ऐसे अपराधों के लिए भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, जो कि मानव द्वारा किये जाते हैं, वह केवल शारीरिक दंड कारावास द्वारा ही दंडनीय हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है, कि निगम व कंपनी के निर्देशकों, प्रबंधक को, प्राधिकृत अभिकर्ता, या सेवको द्वारा किए गए अपराधिक भावना से किये गए अपराधिक कार्य के लिए इनको दंडित नहीं किया जा सकता है |
इसलिए निगम की भूल उच्च अधिकारियों की भूल होती है जो कि निगम की क्रियाशील मस्तिष्क माने जाते हैं निगम की अपराधिता एक अभ्यारोपित दायित्व है, चूँकि निगम को दंडित करना संभव नहीं है इसलिए उनके व्यापार को चलाने वाले तथा उनकी नीतियों को लागू करने वाले अधिकारियों को निगम के दायित्व के लिए दोषी ठहराया जा सकता है |